Ab Kaun Dariya e Ranjish se hokar guzrega remains an unparalleled ghazal depicting the roller coaster ride of life. I hope you would enjoy the journey through each shayari.
Shayari : Ab Kaun Dariya-e-Ranjish Ke Kinaro Se
Poet : #NauushadMuntazir
Reciter : #NauushadMuntazir
साया भी मेरा दम भर के उजालों से होकर ग़ुज़रेगा;
आज़माइश का दौर तो अंधेरों से होकर गुज़रेगा ।
दौर-ए-गुलशन से होकर ग़ुज़रे हैं जो क़ाफ़िले;
बाक़ी का सफ़र हौसलों से होकर ग़ुज़रेगा ।
बेइंतेहा सितारे और दामन में फूलों के सिवा कुछ न रहा;
कुछ तो वक़्त उनका भी काँटों से होकर ग़ुज़रेगा ।
मैं एक आर्ज़ू हूं जिसका खिलना अभी बाक़ी है;
हक़ीकत का सफर तो दुआओं से होकर ग़ुज़रेगा ।
तपाक से बिखरे हैं सफ़ीने जो जानिब-ए-मंज़िल थे;
अब कौन दरिया-ए-रंजिश के किनारों से होकर गुज़रेगा।
-NauushadMuntazir
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